माँ फिल्म रिव्यू: माँ काली और रक्तबीज की कहानी
माँ एक फ़िक्शनल हॉरर मूवी है जो माँ काली और रक्तबीज की कहानी पर आधारित है।रक्तबीज का वध तो देवी पार्वती ने माँ काली का रूप धारण कर किया था, लेकिन इस फिल्म में उस राक्षस के रक्त से जन्मे अमसजा राक्षस की कहानी को दिखाया गया है।कहानी बंगाल के एक टाउन चंदरपुर की है, जहाँ एक अमसजा दैत्य छोटी लड़कियों को उठा ले जाता है। इन्हीं में से एक है अंबिका (काजोल) की बेटी। अंबिका अपनी बेटी को बचाने के लिए उस राक्षस से टकरा जाती है। अमसजा ऐसा क्यों और कैसे करता है, यह जानने के लिए आपको यह पौराणिक फिल्म देखनी होगी।
काजोल ने दमदार और भावनात्मक अभिनय के साथ एक बार फिर खुद को साबित किया है। उनके साथ रोनित रॉय भी मुख्य भूमिका में हैं, जो कभी गाँव के सरपंच हुआ करते थे। फिल्म का पृष्ठभूमि संगीत (BGM) मूवी के पारलौकिक दृश्यों और सस्पेंस को और भी प्रभावशाली बना देता है।फिल्म अपनी कहानी के साथ शुरू से अंत तक दर्शकों को पूरी तरह बांधकर रखती है। कहानी अपनी गति पर चलती है। पहले भाग में कुछ दृश्य आपको रोंगटे खड़े कर देने वाले हॉरर का अनुभव कराते हैं, वहीं दूसरा भाग थोड़ा पूर्वानुमेय जरूर है, लेकिन अपनी कथा से नहीं भटकता। फिल्म के अंत में माँ काली पर एक गीत है जो कहानी की धारा पर पूरी तरह सटीक बैठता है। क्लाइमेक्स पूरी तरह रोमांच से भरा है, जहाँ मुख्य पात्रों के बीच तीव्र संघर्ष दिखाया गया है| overall फिल्म प्रभावशाली है, लेकिन कुछ सीन में VFX बेहतर हो सकता था।
🎬 Movie Credit:
यह फिल्म अजय देवगन फिल्म्स और जियो स्टूडियोज़ के बैनर तले बनी है, जिसका निर्देशन विशाल फुरिया ने किया है – जिन्होंने लपाछपी(Lapachhapi) और छोरी 1 और 2 जैसी हॉरर फिल्मों का निर्देशन किया है। फिल्म की कहानी अजीत जगताप, आमिल कियान खान, और सैयवन क्वाड्रस ने लिखी है।
Ratting: 3.5/5
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